काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?


(ख) तेरी गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!


देख विषमता तेरी-मेरी, बाज रही तिस पर रणभेरी!

कवि ने अपने अंदर और बाहर की बेचैनी को इस वाक्य के माध्यम से अभिव्यक्त किया है| यहाँ कवि स्वतंत्रता संघर्ष में सेनानियों द्वारा झेली जा रही यातनाओं के बारे में बात कर रहा है|

इसमें तत्सम शब्द युक्त खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है| दावानल की ज्वाला में रूपक अलंकार है| साथ ही दी गयी काव्य पंक्ति प्रश्न शैली में है|


(ख) यहाँ कवि अपने और कोयल जे जीवन एवं जीवन से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के बीच अंतर की बात कर रहा है| वह बताता है कि कोयल का जीवन किस तरह से बेहतर है जबकि उसके जीवन में अनेक परेशानियाँ हैं|


यहाँ तत्सम शब्दों युक्त खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है| साथ ही मुहावरों का भी प्रयोग हुआ है| गुनाह जैसे उर्दू फ़ारसी के शब्दों का प्रयोग ही हुआ है|


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